साइकिल पंचर करने को भाजपा ने रचा है चक्रव्यू
मुलायम की विरासत बचाने को पूरी शिद्दत से जुटा कुनबा
रिपोर्ट : प्रतीक्षा वर्मा
मैनपुरी/लखनऊ। मैनपुरी में सियासी पारा हाई है। यह लोकसभा सीट जीतना सपा के लिए जितनी जरूरी है, उतनी ही भाजपा के लिए भी। सपा इस सीट को जीत कर पार्टी संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव की विरासत और पार्टी की साख को बचाने की जद्दोजहद में जुटी है, तो भाजपा 26 बरस से समाजवादी पार्टी के कब्जे में रही इस सीट पर कमल खिलाने का कोई मौका हाथ से जाने देने के लिए कतई तैयार नहीं दिख रही। मुलायम की कर्मभूमि में कमल खिलाकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी यादव वोटों पर सेंध लगाकर 2024 के लोक सभा चुनाव की जमीन तैयार करने में भी जुटी है।

मैनपुरी के लोकसभा उपचुनाव में विजय पताका फहराने के लिए समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों ही दलों के बीच जोर आजमाइश का सिलसिला जारी है। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि में उनकी विरासत बचाने के लिए पूरा समाजवादी कुनबा पूरी शिद्दत से जुटा है। मुलायम की कर्मभूमि में जीत दर्ज करने के लिए भाजपा भी ऐड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है। भाजपा के वरिष्ठ नेता भी रोजाना मैनपुरी में चुनाव प्रचार कर पार्टी उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य के लिए समर्थन जुटाने की हर संभव कोशिशों में जुटे हैं। बहरहाल, सपा और भाजपा दोनों ही दलों ने चुनाव प्रचार में इन दिनों अपनी पूरी ताकत झौंक रखी है।

अखिलेश यादव ने चल दिया ट्रंप कार्ड
ऐसे में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने मैनपुरी की उस विधानसभा में बड़ा खेल खेला है, जहां भाजपा मजबूत रही है। ये विधानसभा है भोगांव। वैसे तो नेताजी मुलायम सिंह यादव की साइकिल ने मैनपुरी लोकसभा सीट से सवारी करने वाले हर प्रत्याशी को संसद पहुंचाया। हर चुनाव में जिले की चार विधानसभा क्षेत्रों में साइकिल सरपट दौड़ी, सिर्फ भोगांव विधानसभा क्षेत्र में साइकिल के लिए पथ पथरीला रहा। हर लोकसभा चुनाव में साइकिल यहां पिछड़ती रही है। यहां अखिलेश यादव का पूरा फोकस है। भोगांव में अखिलेश के साथ पूरा सैफई परिवार तन, मन, धन से जुटा है। वैसे, मैनपुरी लोकसभा सीट से संसद जाने का रास्ता पांच विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरता है। इनमें चार विधानसभा क्षेत्र मैनपुरी के हैं, जबकि पांचवां विधानसभा क्षेत्र जसवंतनगर, इटावा जिले में शामिल है। 1996 से लेकर अब तक साइकिल की सवारी करने वाला प्रत्याशी ही जीत दर्ज करके संसद पहुंचा है। जिले के सदर, किशनी और करहल विधानसभा क्षेत्रों में साइकिल ने हर चुनाव में फरार्टा भरा, लेकिन भोगांव विधानसभा क्षेत्र में साइकिल रफ्तार नहीं पकड़ सकी। यहां सपा प्रत्याशी पहले नंबर को नहीं हासिल कर सका। हालांकि भोगांव में सुस्त हुई रफ्तार को जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में अब तक दोगुना करने का काम किया है।

सपा सुप्रीमो ने भी डाले शाक्यों पर डोरे
भोगांव विधानसभा क्षेत्र में शाक्य मतदाताओं का दखल ज्यादा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस बार भोगांव में भी साइकिल को रफ्तार देने की रणनीति बनाई है। इसीलिए उन्होंने चुनाव से ठीक पहले भोगांव निवासी पूर्व मंत्री एवं शाक्य नेता आलोक शाक्य को जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान कर दिया। अब उनके आने से भोगांव विधानसभा क्षेत्र के साथ ही जिले में साइकिल की रफ्तार कितनी बढ़ेगी यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे।
मुस्लिम और यादवों से सपा को बड़ी आस
मैनपुरी में यादव मतदाता सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद शाक्य वोटर आते हैं। सपा इस गढ़ में यादव वोटरों की संख्या करीब 5 लाख है, तो वहीं शाक्य वोटरों की संख्या करीब सवा 3 लाख। दलित वोटरों की संख्या 2 लाख है और 2 लाख के करीब ही ठाकुर मतदाता हैं। इसके अलावा 1 लाख के करीब ब्राह्मण वोटर हैं। 2 लाख दलित वोटर्स में से करीब डेढ़ लाख वोटर जाटव समुदाय के हैं तो वहीं 1 लाख लोधी और 50 हजार के करीब वैश्य समाज के मतदाता हैं। इसके साथ ही इसी सीट पर 1 लाख वोट मुस्लिम समाज के भी हैं। मुस्लिम और यादवों को 6 लाख वोट हो जाते हैं। इन्हीं दो समाज के लोगों के वोट हासिल कर साल 1996 से लेकर अब तक सपा इस सीट से जीत दर्ज करती आ रही है। बीजेपी प्रत्याशी रघुराज सिंह को शाक्य के साथ-साथ जो कि 3 लाख के आसपास हैं के अलावा अन्य जातियों का वोट मिलता है तो डिंपल के लिए कड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं।

सपा के कोर यादव वोट बैंक पर है बीजेपी की नजर
बीजेपी लोकसभा चुनाव में 80 सीटों का ख्वाब देख रही है, जिसे हासिल करने के लिए उसने बड़ी लकीर खींची है। 2022 विधानसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी की नजर सपा के कोर यादव वोट बैंक पर है। बीजेपी ने दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के जरिए सपा के मजबूत आजमगढ़ में जीतने के बाद 2024 में यादव बेल्ट में भी ‘कमल’ खिलाने की रणनीति बनाई है। ऐसे में मुलायम के करीबी रहे चौधरी हरिमोहन यादव के पुण्यतिथि के जरिए भाजपा मिशन 2024 को पूरा करने के लिए सपा के यादव वोट बैंक में सेंधमारी करने का चक्रव्यूह रचा है। बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी की मानें तो कानपुर से लेकर इटावा, कन्नौज, फरुखार्बाद फिरोजाबाद और आगरा तक एक समय चौधरी हरमोहन सिंह का यादव वोट बैंक पर दबदबा रहा है। विधानसभा चुनाव में हरमोहन के पौत्र मोहित यादव को भाजपा में शामिल कर अपने पक्ष में महौल बनाने का प्रयास हुआ। इसके बाद हरमोहन की पुण्य तिथि में पीएम का वर्चुअल शामिल होना यादव वर्ग के लिए बड़ा संदेश था। इसके साथ ही यादव वोटों को साधने में जुटी भाजपा ने जौनपुर सीट से जीते गिरीश यादव को मुख्यमंत्री योगी ने अपनी मंत्री परिषद में दोबारा जगह दी है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट उपचुनाव में सपा को हराने के बाद भाजपा के हौसले बुलंद हैं। हाल ही में गोला विधानसभा सीट पर पार्टी फिर सपा को मात दे चुकी है। अब नजरें मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा सीटों पर हैं। मैनपुरी में बीजेपी की कोशिश किसी भी तरह गैर यादव और गैर मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करने की है। बीजेपी को पता है कि अगर इन चुनावों में जीत हासिल कर ली तो लोकसभा चुनाव तक जोश बरकरार रहेगा।