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Kanjhawala Girl Accident: कंझावला कांड में हुआ नया खुलासा, स्कूटी पर अकेली नहीं थी युवती,कौन था दूसरा सवार?

Kanjhawala Girl Accident: कंझावला कांड में हुआ नया खुलासा, स्कूटी पर अकेली नहीं थी युवती,कौन था दूसरा सवार?

दिल्ली के कंझावला कांड (kanjhawala girl accident case) में एक नया खुलासा हुआ है. यहां कंझावला इलाके में एक कार, जिसने लड़की को टक्‍कर मारकर उसे लगभग 12 किलोमीटर तक घसीटा, ने एक और लड़की को भी टक्‍कर मारी थी. यह बात पुलिस की जांच के बीच अभी सामने आई है. पता चला है कि 1 जनवरी की रात को कंझावला इलाके में एक स्‍कूटी पर दो लड़कियां जा रही थीं, तभी कार सवार कुछ लोगों ने उन्‍हें टक्‍कर मारी. कार की टक्‍कर लगने पर एक लड़की को हल्‍की चोटें आईं और वह डरकर वहां से भाग निकली थी. जबकि दूसरी लड़की टक्‍कर लगने पर कार के एक्‍सल में ही फंसी रह गई थी. कार चला रहे लोगों उसी दशा में आगे बढ़ते गए. बाद में कुछ लोगों ने चलती कार के निचले हिस्‍से में लाश घिसटते हुए देखी. इस पूरे मामले में बड़ी बात यह सामने आई है कि जिस लड़की की जान गई वो स्‍कूटी पर अकेली नहीं थी, बल्कि उसके साथ उसकी एक दोस्‍त भी थी.

kanjhawala girl accident: कार ने मारी थी 2 लड़कियों को टक्‍कर

पुलिस ने जब मृतक का रूट ट्रेस किया तो पता लगा कि मृतका उस रात स्कूटी पर अकेले नहीं थी, उसके साथ एक लड़की और मौजूद थी और इसी दौरान उन दोनों को कार ने टक्‍कर मारी थी. (sultanpuri kanjawala accident) टक्‍कर लगते ही दोनों लड़कियां गिर गईं, जिनमें एक लड़की को थोड़ी चोट आई और वह घबराकर उसी वक्‍त वहां से अपने घर की ओर भागी. वहीं, दूसरी लड़की गाड़ी के एक्सेल में फंस गई थी, जिसके बाद कार सवार लोग उसे कई किलोमीटर तक घसीटते रहे.

दिल्‍ली पुलिस ने नहीं बताई यह बात

यह मामला अब दिल्‍ली ही नहीं, देशभर में चर्चा में है. इस मामले में कल दिल्ली पुलिस की स्पेशल सीपी शालिनी सिंह ने ब्रीफिंग दी थी. हालांकि, उन्‍होंने तब यह नहीं बताया था कि उस घटना की रात को स्‍कूटी पर एक नहीं बल्कि 2 लड़कियां थीं. पुलिस ने उसी लड़की का जिक्र किया, जिसे कार ने कई किलोमीटर तक घसीटा और उसी दौरान उसकी दर्दनाक मौत हुई.

चश्मदीद का बयान, 18-20 बार कॉल किया, पुलिस ने नहीं की मदद

सुल्तानपुरी (कंझावला) कांड से जुड़े नए-नए खुलासे हो रहे हैं. एक चश्मदीद ने दावा किया है कि लड़की को कार से कुचले जाने की घटना उसने देखी. उसका कहना है कि उसने 45 मिनट तक उस कार का पीछा भी किया, जिसने लड़की को सड़क पर कई किलोमीटर तक घसीटा. दिल्ली के उत्तर-पश्चिमी इलाके के लाडपुर गांव में एक डेयरी की दुकान के मालिक दीपक दहिया ने कहा, “मैं हर रात को तकरीबन 2.30 बजे दूध के डिब्बे उतारने के लिए अपने व्यवसाय के स्थान पर जाता हूं.

1 जनवरी की बात है…जो नए साल का दिन था, (sultanpuri kanjawala accident) उस दिन मैं तड़के लगभग 3.15 बजे अपनी दुकान के बाहर खड़ा था, तभी एक कार को के गुजरने की आवाज सुनी, ऐसा लग रहा था जैसे कि उसका टायर फट गया हो. मैंने मुड़कर उस ओर देखा तो मारुति सुजुकी बलेनो कार दिखी, उसे देखते ही मैं कांप गया.”दहिया ने कहा, “मैंने उस कार का शोर सुना. शुरू में ऐसा लगा कि उसका टायर फट गया है, लेकिन वह चलती जा रही थी. वह बमुश्किल 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से जा रही थी, इसलिए मैं स्पष्ट रूप से देख सकता था कि क्या हुआ. मैंने कार के नीचे एक लड़की की लाश देखी..जो बाईं ओर के दो टायरों के बीच फंसी हुई थी. कार उसे घसीटते हुए ले जा रही थी.”बकौल दहिया, “यह देखकर मैंने तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम में फोन किया. उसके बाद मैंने उस कार का पीछा करना शुरू किया, मुझे एहसास हुआ कि जो लोग उसमें सवार थे वे बहुत धीमी गति से कार चला रहे थे और लाश अभी भी कार के नीचे फंसी हुई थी.

इस बीच मैं पुलिस को कॉल कर-करके मिनट-दर-मिनट अपडेट दे रहा था. मैं 45 मिनट में उन्हें 18-20 बार कॉल किया, जिनमें से एक कॉल 10 मिनट से ज्यादा चली.”दहिया ने कहा, “सड़क पर आगे जब एक मोड़ आ गया तो वे लोग उस ओर मुड़ गए. मैं उन्हें पहचानन तो नहीं सका, लेकिन मैंने देखा था कि वे कुतुबगढ़ की ओर जा रहे थे. मैं लगातार उनका पीछा करता रहा.” बकौल दहिया, “वे मुझसे लगभग 2 किलोमीटर आगे निकल गए और मुझे एहसास हुआ कि लाश अब कार से नहीं जुड़ी थी. यानी वह गिर चुकी थी.” दहिया के मुताबिक रास्ते में उन्होंने 2 पीसीआर वैन देखी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. (kanjhawala girl accident case) पुलिस का कहना है कि वे उनके एसओएस कॉल से अनजान थे. दहिया ने कहा कि बेगमपुर में उन्होंने तीसरी पीसीआर वैन में बैठे अधिकारियों को बताया कि उन्होंने क्या देखा. दहिया ने कहा, “उन्होंने (PCR वैन के पुलिस अधिकारी) कार को जाने दिया, यह बड़ी लापरवारही थी.” दहिया ने कहा कि कई बार बताने के बावजूद पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया कि उन कार सवारों को रोका या पकड़ा जा सके. मैं शुरू से ही कार का पीछा कर रहा था. पुलिस सक्रिय होती तो अपराधी मौके से ही पकड़ लिए जाते. मेरे पास पुलिस कंट्रोल रूम के अधिकारियों के साथ मेरी बातचीत की रिकॉर्डिंग है.

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