Holi: बैद्यनाथ मंदिर में आज शाम शिवलिंग के ऊपर अबीर चढ़ाकर देवघर में होली की शुरुआत की गई. परंपरा के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के शुरू होते ही भोलेनाथ पर अबीर-गुलाल चढ़ाया गया. इसके बाद शिवलिंग पर चढ़े अबीर को प्रसाद के रूप में वहां मौजूद लोगों के बीच बांटा गया. फिर सभी तीर्थ पुरोहितों ने एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाया. उसके बाद से आम भक्त भोलेनाथ पर अबीर-गुलाल चढ़ा रहे हैं. आज भोलेनाथ की श्रृंगार पूजा नहीं की गई. रातभर मंदिर का पट खुला रहेगा और अहले सुबह हरिहर मिलन होगा.
इधर, बाबा बैद्यनाथ के शिवलिंग के ऊपर अबीर गुलाल चढ़ाने के बाद भगवान कृष्णा को पालकी में बैठाकर पूरे शहर में भ्रमण के लिए निकाला गया. इस दौरान रास्ते में भक्त कृष्ण भगवान को झूला झुलाते नजर आए. इस दौरान भगवान को मालपुए का भोग लगाने की भी परंपरा है.बैद्यनाथ मंदिर में होली पर हरिहर मिलन की परंपरा है. शिवलिंग पर गुलाल चढ़ाने के बाद हरिहर मिलन होता है. उसके बाद ही श्रृंगार पूजा की जाती है. आज शाम 4.20 बजे पूर्णिमा तिथि शुरू होने के बाद शाम ढ़लते ही 5 बजे से भद्राकाल की शुरुआत हो गई, जोकि सुबह 4.45 बजे तक रहेगा. इस दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है. इसलिए मंगलवार को भगवान कृष्ण की पालकी वापस मंदिर आने के बाद सुबह 4.50 बजे विशेष पूजा के उपरांत 5.10 बजे शुभ मुहूर्त पर हरिहर मिलन होगा.
Holi: क्या है हरिहर मिलन की परंपरा
मान्यता के अनुसार, फाल्गुन मास पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु यानी हरि के हाथों भगवान शिव यानी हर की शिवलिंग को रावण से लेकर इस चिता भूमि यानी देवघर में स्थापित किया गया है. इसी दिन बाबा भोलेनाथ की स्थापना भगवान विष्णु के हाथों से होने के कारण हरिहर मिलन की परंपरा चली आ रही है. मान्यता यह भी है कि इस मिलन को देखने से मानव जीवन में पूरे जीवन काल तक हरि यानी भगवान विष्णु व हर यानी भगवान शिव की कृपा बनी रहती है. साथ ही जीवन में प्रेम व शांति रहती है.