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घर के बुजुर्गों ने की आत्महया! बेटे के पास करोड़ो की संपत्ति, पोता IAS अधिकारी फिर क्यों की आत्महत्या

घर के बुजुर्गों ने की आत्महया! बेटे के पास करोड़ो की संपत्ति, पोता IAS अधिकारी फिर क्यों की आत्महत्या

आजकल चारों और इस बात की निंदा हो रही है, की युवा पीढ़ी गैर जिम्मेदार होती जा रही है और वह अपने माता-पिता का ख्याल नहीं रखती। वाकई यह स्थिति चिंताजनक है। इसका जीता उदाहरण हरियाणा से सामने आ रहा है। पोता आईएएस (IAS) अधिकारी हो और बेटों के पास करोड़ों की संपत्ति। फिर भी घर के बुजुर्गों को दो रोटियों के लिए धक्के खाने पड़े। ऐसा भला कोई बेटा अपने माता पिता के साथ कैसे कर सकता है।

बुजुर्ग दम्पति की दिल को छू लेने वाली कहानी

हरियाणा के चरखी दादरी जिले में करोड़पति बेटा-बहू, बुजुर्ग माता-पिता को दो रोटी नहीं दे सके। और दर दर की ठोकरें खाने पर मजबूर ही गए जिसके बाद जिंदगी से आहत होकर दंपती ने जहर खाकर आत्महत्त्या कर ली। बता जा रहा है कि बुजुर्ग दंपती का पोता आईएएस अधिकारी है और बेटों के करोड़ों की संपत्ति है। 77 वर्षीय पत्नी के साथ जहरीला पदार्थ निगल आत्महत्या करने वाले जगदीशचंद ने 20 साल तक सेना में सेवाएं दी हैं। मरने से पहले जगदीशचंद ने एक सुसाइड नोट भी लिखा था जिसमे लिखा है कि वह अपने छोटे बेटे महेंद्र के पास रहे थे। छह साल पहले उसकी मृत्यु हो गई। बेटे की मौत के बाद बहु नीलम ने कुछ दिन तक तो खाना पीना दिया लेकिन बाद में उसने, उन्हें प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। आगे मृतक बुजुर्ग ने लिखा कि उनकी बहु का गांव के ही विकास के साथ अफेयर था जब इसका विरोध किया तो उन्हें मर पीटकर घर से बाहर निकाल दिया। इसके बाद वे दो साल तक अनाथ आश्रम में रहे । दो साल बाद जब वे वापस लौटे तो फिर से बाहर निकालकर मकान में ताला लगा दिया। उसी दौरान मर्तक जगदीशचंद की पत्नी भागली देवी लकवाग्रस्त हो गईं। जिसके बाद बुजुर्ग दूसरे बेटे विरेंद्र के पास रहने लगे। उन्होंने भी रखने से मना कर दिया। वे उन्हें खाने में बासी रोटियां देते थे। मर्तक ने लिखा कि वह यह मीठा जहर कितने दिन खाता,इसलिए सुसाइड करना पड़ा। उन्होंने लिखा है कि उनके साथ बेटे और बहुओं ने जो किया, उसके लिए सरकार और समाज को उन्हें दंड देना चाहिए। यह दर्द एक बुजुर्ग दंपती ने मरने से पहले पुलिस को सौंपे एक सुसाइड नोट में बयां किया है।सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि उनके बेटों के पास बाढड़ा में 30 करोड़ की संपत्ति है लेकिन उन्हें देने के लिए दो रोटी नहीं हैं। उनके साथ बेटे और बहुओं ने जो किया उसके लिए सरकार और समाज को उन्हें दंड देना चाहिए। तब जाकर उनकी आत्मा को शांति मिलेगी। बुजुर्ग ने अपनी दो एफडी और दुकानें भी आर्य समाज बाढड़ा के नाम करने की बात सुसाइड नोट में लिखी है। मूलरूप से गांव गोपी निवासी रिटायर्ड सेनाकर्मी जगदीशचंद जिनकी उम्र 78 और पत्नी भागली देवी अपने बेटे विरेंद्र के पास बाढड़ा में रहते थे। विरेंद्र आर्य के बेटे विवेक आर्य 2021 में आईएएस अधिकारी बने। इस समय वो करनाल में बतौर ट्रेनी आईएएस काम कर रहे हैं। बुधवार की रात जगदीशचंद और उनकी पत्नी भागली देवी ने बाढड़ा स्थित अपने आवास पर जहरीला पदार्थ निगल लिया। देर रात करीब ढाई बजे जगदीशचंद ने जहर निगलने की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम में दी। पुलिस पहुंची तो जगदीशचंद ने पुलिस को सुसाइड नोट सौंपा। हालत बिगड़ने पर दोनों को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। दरअसल, जगदीशचंद के परिवार की सामाजिक पैठ है। मूलरूप से गांव गोपी निवासी जगदीशचंद आर्य कन्या गुरुकल पचगांव के उप-प्रधान भी रहे। आर्य समाज बाढड़ा में भी वो कई पद दायित्व का निर्वहन कर चुके हैं। जगदीशचंद के बेटे एवं आर्य समाज उपाध्यक्ष विरेंद्र आर्य का खुद का कस्बे में खुद का व्यवसाय है जबकि उनके छोटे बेटे महेंद्र ने ट्रांसपोर्ट में खूब नाम कमाया। करीब 6 साल पहले हुई बेटे महेंद्र की मौत की घटना ने उनके जीवन को विचलित कर दिया।इस घटना के बाद परिवार में बिखराव हुआ लेकिन उनके बड़े पोते के सेना में बड़े पद पर चयन होने व छोटे पोते के यूपीएससी में चयनित होने के बाद घर में खुशियां आईं, लेकिन उसके एक साल बाद यह ह्दयविधारक घटना हो गई।

इस तरह की दुखद घटनाओं पर सोचने की जरूरत है। आखिर हमारे बुजुर्गों के साथ ऐसा क्यों हो रहा है? आज के दौर में यह एक ऐसा महत्वपूर्ण सवाल है।

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