Bihar News: बिहार के कानून विभाग की ओर से सोमवार (monday) को मुजफ्फरपुर में 1994 में आईएएस अधिकारी जी. कृष्णया की बेरहमी से पीट-पीट कर हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह समेत छूट पर रिहा होने वाले कैदियों की सूची जारी की है। आनंद मोहन की रिहाई के फैसले पर बिहार बीजेपी के कोई भी नेता खुलकर विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी के राष्ट्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने निशाना साधा है। इसका जवाब जनता दल युनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने दिया है। ललन सिंह ने आरोप लगाया कि पहले बीजेपी अपनी बी टीम से वार कर रही थी, अब खुद खुलकर सामने आ गई है।
Bihar News: जेडीयू अध्यक्ष ने ट्वीट में लिखा
जेडीयू अध्यक्ष ने ट्वीट में लिखा- ‘आनंद मोहन की रिहाई पर अब भाजपा (BJP) खुलकर आई है। पहले तो यू पी की अपनी बी टीम से विरोध करवा रही थी। बीजेपी को यह पता होना चाहिए कि नीतीश कुमार जी के सुशासन में आम व्यक्ति और खास व्यक्ति में कोई अंतर नहीं किया जाता है। आनंद मोहन ने पूरी सजा काट ली और जो छूट किसी भी सजायाफ्ता को मिलती है वह छूट उन्हें नहीं मिल पा रही थी, क्योंकि खास लोगों के लिए नियम में प्रावधान किया हुआ था। नीतीश कुमार ने आम और खास के अंतर को समाप्त किया और एकरूपता लाई तब उनकी रिहाई का रास्ता प्रशस्त हुआ। अब भाजपाइयों के पेट में न जाने दर्द क्यों होने लगा है….! भाजपा (BJP) का सिद्धांत ही है विरोधियों पर पालतू तोतों को लगाना, अपनों को बचाना और विरोधियों को फंसाना… वहीं नीतीश कुमार के सुशासन में न तो किसी को फंसाया जाता है न ही किसी को बचाया जाता है।’ इस ट्वीट के साथ ललन सिंह ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती और बीजेपी नेता अमित मालवीय के ट्वीट का स्क्रीनशॉट अटैच किया है।
बता दें कि अमित मालवीय (amit malviya) ने बिहार सरकार के फैसले की कॉपी को ट्वीट करते हुए लिखा था- ‘नीतीश सरकार के लिए शर्म की बात है। सरकारी ऑफिसर की ड्यूटी के दोरान हत्या के दोषी की रिहाई के लिए 2012 के जेल मैनुअल में बदलाव किया गया है। आरजेडी के नेता ने दलित IAS जी कृष्णैया की हत्या की है।’ बता दें कि जेल से रिहा होने वाले कैदियों की लिस्ट में आनंद मोहन का नाम 11वें पायदान पर है। आनंद मोहन फिलहाल बेटे और आरजेडी विधायक चेतन आनंद की शादी के लिए पैरोल पर हैं। हत्या के मामले में 14 साल जेल की सजा काट चुके पूर्व सांसद को अच्छे व्यवहार के आधार पर रिहा किया जाना है। इसके साथ ही औपचारिकताएं पूरी करने के लिए वह 25 अप्रैल को जेल लौट आएंगे और अंत में 26 अप्रैल को बाहर आएंगे।
गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी कृष्णया की हत्या उस समय हुई जब अंडरवल्र्ड डॉन छोटन शुक्ला के शव को श्मशान घाट ले जा रहे उनके समर्थकों ने उनकी कार पर हमला कर दिया और पीट-पीटकर मार डाला। एक ट्रायल कोर्ट ने बाहुबली नेता को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन उन्होंने पटना हाईकोर्ट में अपील की, जिसने मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की थी लेकिन इसने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। आनंद मोहन के अलावा, 26 और लोगों को रिहाई के लिए निर्धारित किया गया, जिसमें एक अन्य बाहुबली नेता राज बल्लभ यादव भी शामिल हैं, जो दुष्कर्म के एक मामले में जेल की सजा काट रहे हैं।