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Arvind Kejriwal: उपराज्‍यपाल पर भड़के CM केजरीवाल- आप कौन हैं, हमारे हेडमास्टर नहीं, जो हमारा होमवर्क चेक करेंगे?

Arvind Kejriwal: उपराज्‍यपाल पर भड़के CM केजरीवाल- आप कौन हैं, हमारे हेडमास्टर नहीं, जो हमारा होमवर्क चेक करेंगे?

दिल्ली विधानसभा में शिक्षकों को फिनलैंड जाने से रोकने के मामले में चर्चा की शुरुआत में जोरदार हंगामा हुआ. मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल (delhi cm arvind kejriwal) एक बार फिर उपराज्‍यपाल वीके सक्‍सेना पर भड़के. उन्‍होंने कहा कि जितनी अच्छी शिक्षा मैंने हर्षिता और पुलकित को दी है उतनी अच्छी शिक्षा दिल्ली के हर बच्चे को देना चाहता हूं. सदन में दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री ने कहा, “मेरे मास्टर ने मेरा होमवर्क ऐसे चेक नहीं किया, जैसे एलजी साहब फाइल चेक करते हैं. मैं चुना हुआ मुख्यमंत्री हूं, दिल्ली के दो करोड़ लोगों ने मुझे चुन कर भेजा है. आप कौन हैं?

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि दिल्‍ली (delhi cm kejriwal) में रहने वाले 2 करोड़ लोग हमारे परिवार हैं. इन परिवारों में रहने वाले बच्‍चों को मैं अपना बच्‍चा मानता हूं. मेरा मानना है कि मैंने जो शिक्षा हर्षित और पुल्कित को दी, वैसी ही शिक्षा दिल्‍ली में रहने वाले हर बच्‍चे को मिलने चाहिए. इसके लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं. शिक्षा के स्‍तर को बढ़ने के लिए हमने स्‍कूलों के आधारभूत ढांचे को ठीक किया. हम शिक्षकों की क्षमता को बढ़ाने के लिए उन्‍हें विदेश में प्रशिक्षण के लिए भेजते रहे हैं. इस बार फिनलैंड में कुछ टीचरों को भेजना है, लेकिन उपराज्‍यपाल ने इस पर रोक लगा दी है.”

केजरीवाल (cm kejriwal) ने कहा, “मैं मुख्‍यमंत्री हूं और मनीष सिसोदिया शिक्षा मंत्री हैं. जनतंत्र में यह होता है कि अगर शिक्षा मंत्री अपने टीचरों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजना चाहता है, तो उसे कोई नहीं रोक सकता. हालांकि, दिल्‍ली में ऐसा नहीं हो रहा है. उपराज्‍यपाल शिक्षकों को फिनलैंड जाने से रोक रहे हैं. दो बार उन्‍होंने इस मामले की फाइल को वापस भेज दिया है.” सदन में केजरीवाल ने कहा, “टीचर्स को मोटिवेट करने के लिए, कैपेसिटी बढ़ाने के लिए देश-विदेश बेस्ड ट्रेनिंग दिलवाई. 30 टीचर्स को फ़िनलैंड जाना था ट्रेनिंग के लिए. मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने फैसला कर लिया, लेकिन यहां पर अजीब जनतंत्र है, सारी फ़ाइल एलजी के पास जाती हैं. एलजी साहब ने दो बार ऑब्जेक्शन लगाया इसका मतलब आपकी नीयत खराब है. बार-बार ऑब्जेक्शन का मतलब यही होता है कि नीयत खराब है और टीचर्स को जाने नहीं देना.”

उन्‍होंने कहा, “कितने सारे सांसद विदेशों में पढ़कर आये, इनके बच्चे विदेशों में पढ़कर आए हैं, क्या इनकी कॉस्ट बेनिफिट एनालिसिस कर्रवाई? मैं इसके विरोध में नहीं हूं, लेकिन जब आप अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं, तो गरीबों के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल रही है तब आप रोकने वाले कौन होते हो? ये सामंतवादी मानसिकता है कि गरीबों को आगे नहीं बढ़ने देना. उपराज्‍यपाल साहब कह रहे हैं देश में ही ट्रेनिंग करवा लो, क्यों करवा लें? हम किसी से कम हैं, क्या गरीब के बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलवाएंगे. दिल्ली (delhi) की जनता का पैसा है, हम तो ऐसे ही करेंगे, उपराज्‍यपाल कौन है? कौन है एलजी? बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना…. कौन है LG हमारे सिर पर चढ़कर आकर बैठ गया.

Arvind Kejriwal: सीएम केजरीवाल ने कहा

उपराज्‍यपाल साहब के पास ऐसा करने की पॉवर नहीं है. सुप्रीम कोर्ट (supreme court of india) ने साफ-साफ कहा है 2018 में के एलजी साहब के पास पुलिस लॉ एंड ऑर्डर के अलावा किसी मामले में फैसला लेने का अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश के पैराग्राफ 284 में लिखा है कि उपराज्यपाल को अपने से फैसला लेने का अधिकार नहीं है. पैराग्राफ 275 में सुप्रीम कोर्ट ने फिर लिखा है कि उपराज्यपाल के पास फैसला लेने की पावर नहीं है. मैं एलजी साहब से दो-तीन दिन पहले मिलने गया और उनको बताया, तो बोले हां यह सुप्रीम कोर्ट की अपनी राय हो सकती है. इसके बाद मेरे पास कहने को नहीं बचा था, क्योंकि इतनी बड़ी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति कह रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की राय हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश हर नागरिक मानने के लिए बाध्य होता है. उन्होंने कहा कि मेरे पास एक सुप्रीम पॉवर है. मैंने मना थोड़ी किया…तो मैंने उनको कहा कि आपने 2 बार ऑब्जेक्शन लगाया.

सदन में दिल्‍ली (supreme court of india) के मुख्‍यमंत्री ने कहा, “मेरे मास्टर ने मेरा होमवर्क ऐसे चेक नहीं किया, जैसे एलजी साहब फाइल चेक करते हैं. मैं चुना हुआ मुख्यमंत्री हूं, दिल्ली के दो करोड़ लोगों ने मुझे चुन कर भेजा है. आप कौन हैं? बोले मुझे राष्ट्रपति ने भेजा… मैंने कहा जैसे अंग्रेज वॉइस रॉय भेजते थे. बोले आप की सरकार ठीक नहीं चल रही है, तो मैंने कहा जैसे अंग्रेज कहा करते थे कि भारतीय लोगों पर सरकार चलानी नहीं आती वैसे ही आप कह रहे हो. मैंने उनसे पूछा है कि कौन.सा कानून आपको ताकत देता है कि कॉस्ट बेनिफिट एनालिसिस कराओ. आप कौन होते हो ऐसा करने वाले? फिर मैंने उनसे पूछा कि 10 एल्डरमैन आपने कैसे बना दिए? बोले उस कानून में लिखा है एडमिनिस्ट्रेटर 10 एल्डरमैन नियुक्त करेगा. फिर मैंने उनको 2018 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिखाया, जिसमें लिखा हुआ था कि जहां पर एडमिनिस्ट्रेटर लिखा हुआ है, वहां पर मंत्रिमंडल की चलेगी. मैंने उनको हाई कोर्ट (supreme court of india) का ऑर्डर भी दिखाया 1998 का OP पाहवा का… इसमें लिखा है सारी पावर दिल्ली सरकार की है…LG की नहीं. मैंने उनसे कहा कि आप आजकल रोजाना मुख्य सचिव को आदेश दे देते हो. कह देते हो कि इसको वहां का चेयरमैन बना दो, इसको एल्डरमैन बना दो, आप उनको कैसे सीधे निर्देश देते हो? बोले मैं शासक हूं किसी को भी आदेश दे सकता हूं.”

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